2011-08-03

बचपन कि मस्ती

बचपन कि मस्ती

हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
वो चुलबुली बातिएँ
वो शारती रातें
वो लड़ना झगड़ना
फिर रूठना मानना
हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
वो सुबह स्कूल जाना
जाने से पहले रोना
वो होमेवोर्क न करना
फिर बहाने बनाना
हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
वो खेलने जाना
फिर कपडे गंदे कर आना
वो जिद्द करना के गुब्बारा चाहिए
फिर उसे फोड़ देना
वो गुम्मी के लिए जाना
फिर चीजी खाना
हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
वो मम्मी कि मार
वो पापा का प्यार
वो पल में रूठ जाना
फिर किसी को न बुलाना
ओर फिर बिन बात मान जाना
हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
सबसे बड़ी बात कि भोलापन खो रहे है




मीठे बोल

दो मीठे बोल किसी को बोलिए उसका खून बढ जाएगा आपका रक्तदान हो जायेगा