वो माँ का आँचल ही है जो बच्चे को सुख देता है
कभी बच्चे के माथे का पसीना तो कभी बदन की धूल को झाड़ देता है
कभी आंचल में सबसे छुपा के कुछ खाने को देती है माँ
कभी पिता की डाँट से बचने को छुपा लेती है माँ
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कभी बच्चे के माथे का पसीना तो कभी बदन की धूल को झाड़ देता है
कभी आंचल में सबसे छुपा के कुछ खाने को देती है माँ
कभी पिता की डाँट से बचने को छुपा लेती है माँ
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माँ के आंचल में सोने का सुख नई पीढी नही ले पाएगी
जीन्स पेहनने वाली माँ आंचल कहाँ से लायेगी
जीन्स पेहनने वाली माँ आंचल कहाँ से लायेगी