2009-07-27

खामोशी


खामोशी की भी कभी सुना करो,
इसमें भी एक बात होती है.
कभी गहराई को समझा करो,
इसमें भी आवाज़ होती है.
तुम तो चल देते हो यूं ही मुहँ मोड़ कर,
हर सुबह की इक सुहानी रात होती है.
जब चाँद आसमान पर आता है ,
हर दिल में कोई आस होती है.
कहना है आंखों से सब कुछ,
इसमें दिल की हाँ होती है .



यह जीवन की डोर किसने बांधी है,

सांसो को पिरो कर बनाई इक माला .

चलते जाते है हम यूँ ही आगे आगे,

चाहे हो कहीं अँधेरा या उजाला।

क्या पाते हैं उजाले से , क्या खो देते हैं अन्देरे में?

बस अंको के हिसाब से रहते हैं एक घेरे में।

एक दिन , दो साल या पन्द्रेह बरस,

कोई पल पाते हैं क्या इसमे सरस?

फिरते है किन इच्छायों के लिए ,

जिन्होंने केवल दी एक मृगत्रिष्णा.

मीठे बोल

दो मीठे बोल किसी को बोलिए उसका खून बढ जाएगा आपका रक्तदान हो जायेगा