मैने बहुत से इन्सान देखे है,
जिनके बदन पर लिबास नही होता।
जिनके बदन पर लिबास नही होता।
और बहुत से लिबास देखे है,
जिनके अंदर इन्सान नही होता ।
जिनके अंदर इन्सान नही होता ।
कोई हालात नहीं समझता ,
कोई जज़्बात नहीं समझता ,
कोई जज़्बात नहीं समझता ,
ये तो बस अपनी अपनी समझ है ,
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता