ज़िन्दगी चलती सांसों से नहीं
ज़िन्दगी चलती बातों से नहीं
ज़िन्दगी चलती दिखावे से नहीं
ज़िन्दगी चलती छलावे से नही
ज़िन्दगी चलती बातों से नहीं
ज़िन्दगी चलती दिखावे से नहीं
ज़िन्दगी चलती छलावे से नही
ज़िन्दगी तो एक धारा है
जो बहती है उन्मुक्त , मदमस्त
रमती है हर पल में
हर कण में
हर क्षण में
जो बहती है उन्मुक्त , मदमस्त
रमती है हर पल में
हर कण में
हर क्षण में
हे मानव इसे तू मत बिगाड़ ज़िन्दगी
अपने स्वार्थ से , अपने अहँकार से
बहने दे बहने दे
अपने स्वार्थ से , अपने अहँकार से
बहने दे बहने दे
मोनिका वनीत गुप्ता