2016-09-02

#बचपन_के_दिन

पेड़ो पर अब फल पकते नही
ताबियत से पत्थर भी अब लगते नहीं
वो बच्चे भी जाने कहाँ गुम हैं
उनसे बाग़ अब सजते नहीं

2016-08-07

मित्रता_दिवस

स्नेह , प्रेम और अटूट बंधन
 पति-पत्नी दो तन एक मन
मित्रता के रंग से और होता गहरा
जैसे धरती पर अम्बर ठहरा
मोनिका_वनीत
#मित्रता_दिवस

2016-07-26

लिबास



मैने बहुत से इन्सान देखे है,
जिनके बदन पर लिबास नही होता।
और बहुत से लिबास देखे है,
जिनके अंदर इन्सान नही होता ।
कोई हालात नहीं समझता ,
कोई जज़्बात नहीं समझता ,
ये तो बस अपनी अपनी समझ है ,
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है
तो कोई पूरी किताब नहीं समझता

2016-07-17

बारिश

बारिश की बुन्दों में तुम्हें ढूँढ़ती हूँ
कभी ठहरी बुंदों में तस्वीर तेरी
कभी बरसती बुंदों में तकदीर मेरी



2016-06-15

ज़िन्दगी

सब  कुछ मिल  जाये  ज़िन्दगी  में  तो  क्या  मज़ा
जीने  के लिये कुछ तो कमी  होनी  जरूरी  है

परिपूर्ण  हो  जाये मन  ऐसा ना हो
कलम चले  तभी  जब तक  कहानी  अधूरी  है

2016-05-09

बेटी

जब वो अपने हिस्से की खीर भी छोटो को खिलाने लगी
सबने कहा बेटी सयानी हो गयी

जब वो मुह दबा कर हसनें लगी
सबने कहा बेटी सयानी हो गयी

जब वो दुपट्टा सम्भाल कर ओड़ने लगी
सबने कहा बेटी सयानी हो गयी

शादी कर जब पति के साथ चहचहाने लगी
सबने कहा बहू का बचपना नही गया

#MonicaGupta

#हमारा_समाज

बेटी

जब वो अपने हिस्से की खीर भी छोटो को खिलाने लगी
सबने कहा बेटी सयानी हो गयी

जब वो मुह दबा कर हसनें लगी
सबने कहा बेटी सयानी हो गयी

जब वो दुपट्टा सम्भाल कर ओड़ने लगी
सबने कहा बेटी सयानी हो गयी

शादी कर जब पति के साथ चहचहाने लगी
सबने कहा बहू का बचपना नही गया

#MonicaGupta

#हमारा_समाज

मीठे बोल

दो मीठे बोल किसी को बोलिए उसका खून बढ जाएगा आपका रक्तदान हो जायेगा