2009-12-08
एक बार
तुमने तो सुनाया ही कुछ नही ,
कैसे कह दिया कि तुम नही समझती।।
हर बार चोट खा कर इस दिल में ,
फिर भी तुम्हारी तस्वीर नही बदलती।
तुम्हारे बिन कहे हम सब समझें,
और हमारे सब कहे भी तुम न समझो।
समझना क्या है क्या समझाना,
बस आँखों से कह दो हम पर बरसो।
दीवार गिर जाएगी फिर शब्दों की,
जब तुम बस एक बार हँस दो।
पीछे पीछे ही चल देंगे हम,
एक इशारा ही बस कर दो।
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