दिल ने फिर कहा चलो कुछ टहल कर आये,
मैंने कहा कि चलो कुछ नयी हवा को पाए।
चल तो दीये इस दिल के साथ हम,
पर कुछ दूर ही चले कि रुक गए हम।
यह कैसी नई हवा चली है?
हर तरफ खलबली है।
कोई कहता है मैं मराठी हूँ, कोई कहता मद्रासी,
कोई बंगाली है तो कोई दिल्लीवासी।
बच्चो को तो हम चाँद पर जाने को कहते है,
और खुद घर का दरवाज़ा नहीं लांगते हैं।
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