2011-12-31

HA{|PPY NEW YEAR

हम अब २०११ को छोड़ कर २०१२ को अपनाने जा रहे हैबस कुछ ही पलों में हम २०१२ को अपने जीवन का हिस्सा बना लेंगेउम्मीद है यह साल और नयी उमंग और तरंग ले कर आये..कुछ जाना पहचाना बन कर हमारे हर सपने पर पंख लगाये और हमे जीवन कि हर ख़ुशी से अवगत कराये,,, नव वर्ष कि हार्दिक शुब्कम्नाये;;;


2011-08-31

ॐ एक दंश्त्राया विद्महे
वालेंरातुन्दय धीमहि
तन्नो बुद्धिही प्रचोदायत


गणपति बाप्पा मेरे घर आयो............

2011-08-21

बाल गोपाल

बाल गोपाल नन्द लाल कि जय हो, हरी बोल हरे किशना हरे किशना किशना किशना हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे... हे कान्हा सब पर अपनी आपर किरपा बनाये रखो, साब कि मनो कम्नाये पूर्ण करो और अपनासब पर बनाये रखो...

2011-08-20

लम्बी दूरी

मैंने कहा कि कैसे यह लम्बी दूरी तय होगी, मैंने एक कदाम उठाया और रास्ता बनता गया

2011-08-13

मन्नू रखदी बनान डा च

मेरे भाई का ओर मेरा रिश्ता… कभी खट्टा कभी मीठा… कभी हसना कभी रोना…कभी रूठना कभी मानना…कभी प्यार कभी गुस्सा…कभी दोस्ती कभी झगडा…कोई करे भी तो करे क्या… ये रिश्ता है ही अनोखा…मुझे आज भी याद ह्हाई से रोज़ प्रार्थना करते थे हमें एक भाई दे दो.. हमारे दादाजी एक माता कि भेंट भी लिखी यह देख कर .... मन्नू रखदी बनान डा च एक वीर दे दे दतिये .. यह भेंट नरेन्द्र चंचल कि सबसे मशहूर भेंट है ...

2011-08-03

बचपन कि मस्ती

बचपन कि मस्ती

हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
वो चुलबुली बातिएँ
वो शारती रातें
वो लड़ना झगड़ना
फिर रूठना मानना
हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
वो सुबह स्कूल जाना
जाने से पहले रोना
वो होमेवोर्क न करना
फिर बहाने बनाना
हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
वो खेलने जाना
फिर कपडे गंदे कर आना
वो जिद्द करना के गुब्बारा चाहिए
फिर उसे फोड़ देना
वो गुम्मी के लिए जाना
फिर चीजी खाना
हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
वो मम्मी कि मार
वो पापा का प्यार
वो पल में रूठ जाना
फिर किसी को न बुलाना
ओर फिर बिन बात मान जाना
हम बढे हो रहे हैं
बचपन कि मस्ती को खो रहे हैं
सबसे बड़ी बात कि भोलापन खो रहे है




2011-03-11

यहीं पे था मेरा बचपन



यहीं पे था मेरा बचपन, यहीं कहीं पे था

यहीं हंसा था

यहीं कही पे रोया था

यहीं दरख्तों क साये मैं

थक क सोया था

यहीं पे जुगनुओं से अपनी बात चलती थी

वो हंसी जो हर पल साथ चलती थी

यहीं पे था वो लाराक्पन

यहीं कहीं पे था

यहीं पे माँ मुझ को सीनी लगाये रखती थी

यहीं पे पापा ने इक बार कान खिंचा था

शरारत किसी ओर न कि थी सजा मुझी थी मिली

मैं कितनी दार खरा धुप मैं रहा तनहा

तमाम यार मेरी खुश मेरी सजा पे थी

यहीं पे था वो लड़कपन यहीं कहीं पे था

2011-03-08

मन का मैल

नहाये धोये क्या भला जो मन का मैल न जाय
मीन सदा जल में रहे पर तन की बॉस न जाय

2011-01-12

लोहरी



मीठे गुड में मिल गया तिल उड़े पतंग और खिल गया दिल .
हर पल सुख और हर दिन शांति आप जाये खिल
लोहरी का त्योंहार आप सब मनाये मिल।

मीठे बोल

दो मीठे बोल किसी को बोलिए उसका खून बढ जाएगा आपका रक्तदान हो जायेगा