मैने उसे माफ कर शर्मिन्दा कर दिया
जब माटी को बारिश की पहली बूंदों ने छुआ
इत्र ने अपने अस्तित्व की मांगी इक दुआ
किताबों का होता रूहानी मिजाज़ है
अल्फाज़ गहरे पर ना कोई आवाज़ है
कुछ इस तरह फ़कीर ने ज़िन्दगी की मिसाल दी
रेत भरी मुठ्ठी में और हवा में ऊछाल दी
अगर आपके साथ कुछ बेहतर नहीं हुआ
तो यकीन मानिये बेहतरीन होगा
अपने पास एक नजर ही तो है अपनी
क्यूँ देखे ज़िन्दगी को किसी की नज़र से
मैं जो सब का दिल रखता हूँ
सुनो मैं भी एक दिल रखता हूँ
💜💜💜💜
दिलों में रहना सीखो
गरूर में तो हर कोई रहता है
गरूर में तो हर कोई रहता है
माना तुमने मुझे अपने से छोटा देखा
या तो दूर से देखा या गरूर से देखा
या तो दूर से देखा या गरूर से देखा
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